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भरोसा कांच की तरह होता है
टूटता है तो बिखर जाता है
फूल की पंखुड़ी सा कोमल
बेवफाई से झुलस जाता है
भरोसा तोड़कर खुश मत हो ये जालिम
ये सोच कितना था यकीं तुम पर
ये सोच कितना था यकीं तुम पर
तुमने क्या खोया है जरा सोचना
कितना प्यार था लुटाया तुम पर
कितना प्यार था लुटाया तुम पर
माफ़ तो हज़ार बार कर दूं तुझे
विश्वास कैसे करूँ कायम तुम पर
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टिप्पणियाँ
एक बार टूटा भरोसा किसी पर भरोसा करने के काबिल नहीं छोडता
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