- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
तुझसे इतना करीब हूँ
फिर भी मैं इतना बदनसीब हूँ
देखता हूँ रोज तुझको, पर पा नही सकता
अहसास है तेरा पर, करीब आ नही सकता
मेरी क्या खता है क्या गलती मेरी है
खो जाता हूँ कही जब नजरे मिलती है
तू मुझे चाहे या न चाहे ये तेरी मर्जी है
पर करना यूं नजरअंदाज भी खुदगर्जी है
फिर भी मैं इतना बदनसीब हूँ
देखता हूँ रोज तुझको, पर पा नही सकता
अहसास है तेरा पर, करीब आ नही सकता
मेरी क्या खता है क्या गलती मेरी है
खो जाता हूँ कही जब नजरे मिलती है
तू मुझे चाहे या न चाहे ये तेरी मर्जी है
पर करना यूं नजरअंदाज भी खुदगर्जी है
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें