संदेश

कब तक आखिर कब तक?

मैं चाहता हूँ कि तुझे न चाहूँ

तेरे इश्क में मेरे प्रेम की, अमिट पहचान बनी रहे

चुरा लूं तुझे

इतना करीब होकर भी दूर हूँ

इश्क बाकी है

तेरी झलक

तू मेरी मंजिल

सबसे बुरा होता है किसी का इंतज़ार करना

वादा करता हूँ

मेरी नजरो से छुप नही सकती

खुद को भी कभी देख मेरी नजर से

गुमनाम मुसाफिर हूँ

इश्क अधूरा है

बोलो अब क्या चाहते हो जियूं या मर जाऊँ

जिन्दगी दर्द है

तू भी जरा तड़पन का एहसास तो कर

भरोसा नही तोडना

ममत्व

तेरा जवाब

तुम जब हंसती हो

भरोसा मत तोडना

तड़पन

मैं चल पड़ा हूँ

दिल और दिमाग की जंग में

मेरी गलतियाँ